बांस पूर्वोत्तर की जिंदगी में, शरीर में खून ले जाने वाली धमनियों की तरह शामिल है।मेघालय में सिंचाई की नालियों की तरह, मिजोरम के सुदूर गांवों में बरसाती पानी को घर तक लाने वाली पाइपलाइन, नागालैंड में चाकू की तरह और कई इलाकों में तो थाली-कटोरी की तरह इस्तेमाल किया जाता है। बांस के फूलों के विध्वंस की ताकत भयानक है। यह बजती हुई बांसुरी के अचानक किसी स्वर पर गर्दन उतारने वाली तलवार में बदलने जैसा अजूबा लगता है। यह फूल बिरले आते हैं लेकिन जब आते हैं तो प्रकृति नया असंतुलन पैदा करती है। चूहे इन फूलों को खाते हैं जिससे उनकी प्रजनन क्षमता असामान्य ढंग से बढ़ जाती है। लाखों की संख्या में पैदा हुए चूहे खेतों की फसलें, घरों में रखा अनाज, फल, सब्जियां सब चट कर जाते हैं।साल बीतते न बीतते अकाल पड़ जाता है।
इन्हीं फूलों ने मिजोरम में उग्रवाद की नींव रखी थी और पूर्वोत्तर का इतिहास और भूगोल दोनों बदल दिया था।तब मिजोरम असम का एक जिला हुआ करता था जिसे लुसाई हिल्स कहा जाता था।
सन् 1959 में बांस के फूल खाकर उन्मत्त चूहों ने खेतों, जंगलों, बस्तियों पर धावा बोल दिया,अकाल की नौबत आ गई। मिजो लुसाई हिल्स से असम के दूसरे जिले कछार के गांवों की तरफ भागने लगे लेकिन स्थानीय आबादी और असम पुलिस ने उन्हें वापस ठेल दिया।मिजो नेताओं ने असम सरकार से गुहार लगाई। जब तक प्रशासनिक मशीनरी हरकत में आती वहां अगले 25 साल तक चलने वाले रक्तपात की पुख्ता नींव पड़ चुकी थी। सरकार से निराश लोगों ने आपातकालीन संगठन बनाएं। इन्हीं में से एक मिजो फेमाइन फ्रंट (एमएफएफ) था जिसे सेना में हवलदार रैंक के क्लर्क रहे लालडेंगा ने बनाया था। पूर्व सैनिकों और युवा वालंटियरों का एक नेटवर्क तैयार कर लालडेंगा ने दूरदराज के गांवों तक अनाज भेजना चालू किया।कभी भारत के फौज में रहे रिटायर्ड बूढ़े रसद के साथ एक संदेश भी ले जाते थे, ' दिल्ली और असम की सरकारों को भूख से मरते में मिजो लोगों की कोई परवाह नहीं है इसलिए अब अलग देश के लिए लड़ाई छेड़ने का वक्त आ गया है।' एमएफएफ एक दिन मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) में बदल गया और अलग मिजो राष्ट्र मांगने लगा। भारत सरकार ने इसे एक क्लर्क की सनक समझ कर दरकिनार कर दिया।
लालडेंगा और उनके लड़के आईएसआई से संपर्क साध कर पूर्वी पाकिस्तान के चटगांव पहुंच गए। वहां से हथियार और गुरिल्ला युद्ध की ट्रेनिंग लेकर मिजोरम मिजोरम की पुलिस चौकियों पर हमला करने लगे। फरवरी 1966 की एक रात उन्होंने ' ऑपरेशन जेरिको ' के जरिए आईजोल के रेडियो स्टेशन, ट्रेजरी और थाने पर कब्जा कर देश को स्तब्ध कर दिया। ईसाई आबादी का समर्थन पाने के लिए लालडेंगा ने इस हमले को धार्मिक रंग दे दिया था। मिथकों के अनुसार हजरत जोशुआ ने परमपिता के आदेश पर जेरिको के किले की दीवार गिरा दी थीं ताकि उनके भक्तों को अपना वतन मिल सके।
आइजोल पर वापस कब्जा पाने के लिए किसी उग्रवादी संगठन के खिलाफ पहली बार एयर फोर्स के हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया गया था।
1986 में भारत सरकार और मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के बीच ऐतिहासिक समझौते के फलस्वरूप 20 फरवरी 1987 को मिजोरम को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला और कांग्रेस के मुख्यमंत्री को हटाकर लालडेंगा को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया।
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